गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

चित्तोड्गढ के किले में मन्ना डे के दर्शन



२००३ दिसम्बर के महिने में परिवार के साथ सडक मार्ग से राजस्थान भ्रमण के लिये गये थे यात्रा का मार्ग मध्य प्रदेश के इन्दौर, रतलाम व मन्द्सौर हो कर चित्तोड के रास्ते राजस्थान में प्रवेश करना और लगभग सारा राजस्थान १० दिन में घूम फिर कर जयपुर, मैहंदीपुर बालाजी होते हुए आगरा उत्तर प्रदेश से बाहर निकलना था
खैर आज इस यात्रा की याद आने का कारण ये है कि जिस दिन हम चित्तोड पहुंचे उस दिन ही वहां पर मन्ना डे नाइट का प्रोग्राम था इतने कम समय में वहां जाना संभव नहीं हो सकता था तो बस उस के होर्डिंग देख कर ही खुश हो लिये कि आज हम और मन्ना डे जी एक ही शहर में हैं
जब दूसरे दिन हम लोग चित्तोड्गढ का किला देखने गये तो हमारे साथ ही मन्ना डे जी भी किला देखने आये हुए थे आराम से मन्ना डे जी से मुलाकात हो गयी थी वहां पर

मेरे छोटे भाई जो तब ज्यादा बडे नहीं हुए थे उन्होंने तो मन्ना डे जी से ये भी कह दिया था कि हम लोग उन को उन की टोपी की वजह से ही पह्चान गये थे, वो ये सुन कर मुस्कुरा दिये थे और छोटे भाई साहाब के गाल पर एक थपकी भी दी, आज उन की म्रत्यु की खबर सुन कर उन का वही मुस्कुराता चेहरा याद आ रहा हैइत्तिफाक से एक बहुत ही खूबसूरत याद दे गये

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